Monday, August 1, 2011

रहमत, इबादत व बरक़त का महीना ‘रमज़ान’


लो आ गया अल्लाह की रहमतों व बरकतों का महीना, अंधेरे से उजाले में होने का महीना रमजान का मुबारक महीना आ गया है। रमजान का मुबारक महीना अल्लाह की रहमतों से भरा है इस महीने में मुसलमान इबादत करते हैं और रोज़े रखते हैं। बुरे कामों से दूरी बनाये रखते हैं और अल्लाह से दुआ करते हैं की हर बुराई से हमें निजात दिलाये और इस दिल को नेक बनाने की तोफीक अता फरमाए आमीन।

सहरी का ऐलान होते ही घरों में रोजा रखने वालों के लिए खाना परोसा जाता है सहरी के वक्त खासतोर पर खाने में खजला व फेनी का उपयोग किया जाता है और जब सहरी का वक्त खत्म हो जाता है तो खाना-पीना रोक दिया जाता है उसके बाद रोजेदार अपनी तशरीफ़ मस्जिदों की तरफ ले जाते हैं और अल्लाह की शान में नमाज़ अदा करते हैं।

रोज़ा अफ्तार के लिए घरों में फलों की चाट व आलू, प्याज और अन्य सब्जियों की पकोड़ियाँ अफ्तार के लिए तैयार की जाती हैं। रोज़ा अफ्तार के वक्त रोजेदार दस्तरखान पर रोज़ा खोलने के लिए साथ बैठते हैं और अफ्तार से पहले अल्लाह से दुआ करते हैं। दुआ करने के बाद सभी मस्जिद से हो रहे ऐलान को सुनकर अपना रोज़ा अफ्तार करते हैं व उसके तुरंत बाद नमाज़ के लिए मस्जिद की ओर रवाना हो जाते हैं।

अल्लाह की इबादत के लिए सभी ईशा की नमाज़ के बाद 20 रक़ात तरावीह पड़ते हैं जिसमे कुरान पाक की आयतों का जिक्र होता है।

रमजान का महीना बड़ी बरकतों वाला है बेशक अल्लाह की रहमतों की बारिश इस महीनें में खूब बरसती है।

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