Monday, July 25, 2011


वो उजली किरन कहां देखूं,
वो बहता रंग कहां देखूं,
जब से किया चेहरे पर पर्दा,
वो चमकता चांद कहां देखूं,
मिलती नहीं यूं ही कोई ख्वाबों की परी,
जमीं देखी आसमां देखा,
अब बताओ कहां देखूं,
वो बीता हुआ पल कहां देखूं,
वो हस्ता हुआ कल कहां देखूं,
गुज़रे जिंदगी जिसके साये में,
वो ज़ुल्फों की छांव कहां देखूं,
वो फूल कहां देखूं,
वो खुशबू कहां देखूं,
जो निकले तेरी अंगड़ाई से,
वो सुबह कहां देखूं,
वो चलती फिजा कहां देखूं,
वो ठंडी हवा कहां देखूं,
जहां मिल सके आराम,
तेरे आंचल की शाम कहां देखूं,
तुझसा हसीं कहां देखूं,
तुझसा हसीं कहां देखूं...
मौ.यासीन

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